एएमयू के प्रो. शाह आलम ने ओडिशा में अंतरराष्ट्रीय मनोविज्ञान संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया

नई दिल्ली : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. शाह आलम ने फकीर मोहन विश्वविद्यालय, ओडिशा द्वारा ‘बदलती दुनिया में मनोविज्ञान का अनुप्रयोगः समझ, क्रियान्वयन और परिवर्तन’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया और उद्घाटन व्याख्यान प्रस्तुत किया।
प्रो. आलम ने कहा कि मनोविज्ञान हरेक और हर घ्टना के लिए प्रासंगिक है और इसे व्यावहारिक समस्याओं के समाधान में सक्रिय रूप से अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने भारत में मानसिक स्वास्थ्य की गंभीर स्थिति का जिक्र करते हुए बताया कि देश की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहती है, ऐसे में शिक्षा, स्वास्थ्य और सामुदायिक विकास के क्षेत्रों में मनोवैज्ञानिक सहायता की सख्त जरूरत है।
सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए प्रो. शाह आलम ने बताया कि देश की 20 प्रतिशत आबादी को नियमित काउंसलिंग की आवश्यकता है, लेकिन प्रशिक्षित काउंसलर्स की भारी कमी के चलते कम से कम 15 लाख योग्य काउंसलर्स तैयार करने की आवश्यकता है। उन्होंने आत्म-नियंत्रण और आत्म-विश्वास को मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी बताते हुए कहा कि हर किसी को काउंसलिंग नहीं मिल सकती, इसलिए आत्म-संयम के विकास की दिशा में प्रयास होने चाहिए। आत्महत्या की रोकथाम और नशा मुक्ति को भी उन्होंने प्रमुख मुद्दों के रूप में रेखांकित किया।
