एएमयू शिक्षक द्वारा गुजरात में चीतों के प्रजनन और वन्यजीव संरक्षण पर कार्यशाला आयोजित

नई दिल्ली : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वन्यजीव विज्ञान विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. नाजनीन जहरा द्वारा गुजरात के भुज में ‘कच्छ के बन्नी ग्रासलैंड में वन्यजीव संरक्षण और चीतों की पुनः स्थापना’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गयी। यह कार्यक्रम डॉ. जहरा और कच्छ वन विभाग के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया।
इस कार्यशाला में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर, फॉरेस्ट गार्ड्स, और शोधकर्ता शामिल थे। कार्यक्रम की शुरुआत चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट्स (सीसीएफ) डॉ. संदीप कुमार के अध्यक्षीय भाषण से हुई, जिसमें उन्होंने बन्नी क्षेत्र में चीता पुनर्वासन की रणनीतियों और चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने एएमयू जैसे शिक्षण संस्थानों के सहयोग को आवश्यक बताया।
डॉ. जहरा ने अपने व्याख्यान में विशेष रूप से सूखे क्षेत्रों में चीता संरक्षण के लिए दीर्घकालिक योजनाओं, नॉन-इनवेसिव मॉनिटरिंग और आधुनिक तकनीकों के उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने फील्ड स्टाफ की मेहनत की सराहना करते हुए उन्हें आधुनिक उपकरणों के प्रशिक्षण की सलाह दी।
उनके मार्गदर्शन में एएमयू के शोधार्थी शाहबाज खान और मिर्जा अल्ताफ बेग ने चडवा राखाल वन क्षेत्र, भुज में किए जा रहे स्तनधारी जीवों के सर्वेक्षण के निष्कर्ष प्रस्तुत किए। कैमरा ट्रैप तकनीक के जरिए उन्होंने क्षेत्र की जैव विविधता का परिचय दिया। बेग ने फील्ड डॉक्युमेंटेशन और नेविगेशन के लिए मोबाइल ऐप्स का प्रदर्शन भी किया। इंतिखाब ने कार्यशाला के आयोजन में प्रमुख भूमिका निभाई।
कार्यक्रम का समापन एक पैनल चर्चा के साथ हुआ जिसमें वरिष्ठ वन अधिकारी, एएमयू के शोधकर्ता और फील्ड स्टाफ शामिल हुए। सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र और स्मृति चिह्न प्रदान किए गए। धन्यवाद ज्ञापन परिमल पटेल, सहायक वन संरक्षक (एसीएफ), बन्नी द्वारा प्रस्तुत किया गया।
