जेएन मेडिकल कालेज के कैथ लैब में जटिल कोरोनरी इंटरवेंशन पर कार्यशाला आयोजित

नई दिल्ली : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कालेज के हृदय रोग विभाग द्वारा कैथ लैब में धमनियों में पूरी तरह से ब्लोकेज (क्रॉनिक टोटल ओक्लूजन) के उपचार पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें इस रोग से पीड़ित आठ रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज किया गया।
चेन्नई के अपोलो अस्पताल से आमंत्रित जाने-माने इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डा आनंद ज्ञानराजन ने जेएनएमसी की टीम के साथ इन प्रक्रियाओं को अंजाम दिया। डा ज्ञानराजन ने बताया कि क्रॉनिक टोटल ओक्लूजन वह स्थिति है तब हृदय को रक्त पहुंचाने वाली धमनिया (कोरोनरी आर्टरी) पूरी से बंद हो जाती है। जब यह स्थिति तीन महीने से अधिक पुरानी हो जाती है। जिसकी वजह से रोगी के सीने में तेज़ दर्द, थकन तथा सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं हो सकती हैं। उन्होंने बताया कि आधुनिक तकनिकों जैसे एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग की मदद से अब सीटीओ को प्रभावी इलाज संभव है।
कार्डियोलॉजी विभाग के चेयरमैन प्रो. आसिफ हसन ने बताया कि ऐसे मरीजों की धमनियां पूरी तरह से और लंबे समय से ब्लॉक होती हैं, जिनका इलाज तकनीकी रूप से बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। उन्होंने बताया कि कार्यशाला के दौरान आठ जटिल मरीजों का इलाज सफलतापूर्वक किया गया, जिसमें इंट्रावैस्कुलर अल्ट्रासाउंड तकनीक का प्रयोग हुआ, जिससे इलाज ज्यादा सटीक और सुरक्षित रहा।
प्रो. हसन ने कहा कि ऐसे इलाज निजी अस्पतालों में 4 से 5 लाख रुपये तक खर्च करते हैं, जबकि जेएनएमसीएच में इन्हें बहुत ही कम खर्च पर किया गया, जिससे जरूरतमंद मरीजों को काफी लाभ मिला। प्रो. हसन ने जानकारी दी कि कार्डियोलॉजी ओपीडी और कैथ लैब में बढ़ते जटिल मामलों को ध्यान में रखते हुए इस तरह की कार्यशालाएं भविष्य में नियमित रूप से आयोजित की जाएंगी।
प्रतिभागी डा मलिक अजहरुद्दीन ने कहा कि यह प्रशिक्षण हमारे ज्ञान और मरीजों की देखभाल की क्षमता को और बेहतर बनाता है। डीएम कार्डियोलॉजी के रेजिडेंट डाक्टरों ने भी इस कार्यशाला में भाग लेकर उन्नत तकनीकों का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
