एएमयू के भूगोल विभाग द्वारा सामाजिक विज्ञानों में अनुसंधान पद्धति पर 10 दिवसीय पाठ्यक्रम आरंभ
नई दिल्ली : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के भूगोल विभाग द्वारा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के सहयोग से सामाजिक विज्ञानों में अनुसंधान पद्धति पर 10 दिवसीय पाठ्यक्रम का आज उद्घाटन हुआ। यह पाठ्यक्रम शोधार्थियों, पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोज और प्रारंभिक करियर के शिक्षकों के लिए आयोजित किया जा रहा है, जो 9 जुलाई 2025 तक चलेगा।
उद्घाटन समारोह में एएमयू के सहकुलपति और मुख्य अतिथि प्रोफेसर एम. मोहसिन खान ने भूगोल विभाग की समृद्ध अकादमिक विरासत और क्षेत्र में उसके योगदान की सराहना की। उन्होंने प्राथमिक स्रोतों पर आधारित अनुसंधान की आवश्यकता और सामाजिक विज्ञानों में पद्धतिगत कठोरता, विश्लेषणात्मक स्पष्टता और आलोचनात्मक सोच के महत्व पर बल दिया, विशेष रूप से वर्तमान तकनीकी परिवर्तन और सूचना की भरमार के युग में।
विशिष्ट अतिथि प्रो. आसिम जफर, ओएसडी (विकास), ने अनुसंधान प्रक्रिया की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए स्पष्ट शोध समस्याओं, उद्देश्य निर्धारण, साहित्य समीक्षा, आंकड़ा विश्लेषण और गुणवत्ता रिपोर्टिंग के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने प्रतिष्ठित शोध पत्रिकाओं में प्रकाशन, आधुनिक अनुसंधान उपकरणों और डिजिटल तकनीकों के समावेश तथा अकादमिक ईमानदारी के महत्व पर भी बल दिया।
विज्ञान संकाय के कार्यवाहक डीन प्रोफेसर अतीक अहमद ने प्रतिभागियों को शोध के प्रति लगन और नैतिक जिम्मेदारी के साथ कार्य करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने प्रारंभिक चरण में शोध की संभावनाओं को पहचानने और शैक्षिक सामग्री को शिक्षण पद्धति से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने राष्ट्र निर्माण और सामाजिक विकास में अनुसंधान की भूमिका को भी रेखांकित किया।
भूगोल विभाग के अध्यक्ष एवं पाठ्यक्रम निदेशक प्रो. शहाब फजल ने स्वागत भाषण में विभाग की उपलब्धियों और विश्वविद्यालय की अकादमिक प्रगति पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि “एएमयू देश का पहला विश्वविद्यालय है जिसने एनईपी-2020 के अंतर्गत चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम विकसित किया है।” उन्होंने विश्वविद्यालय के बाहर से आए प्रतिभागियों को एएमयू की भूगोल विभाग के सौ वर्ष के योगदान से अवगत कराया।
प्रो. फजल ने पाठ्यक्रम की संरचना के बारे में जानकारी दी, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों द्वारा 36 गहन सत्र शामिल हैं। उन्होंने प्रतिभागियों को सिद्धांतात्मक ढांचे और व्यावहारिक अनुप्रयोगों के संतुलन के साथ एक व्यापक शैक्षणिक अनुभव प्रदान करने का आश्वासन दिया।
पाठ्यक्रम की सह-निदेशक डॉ. सालेहा जमाल ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। उन्होंने प्रशिक्षण मॉड्यूल की संक्षिप्त जानकारी दी, जिनमें एसपीएसएस, आर प्रोग्रामिंग, रिमोट सेंसिंग और जीआईएस जैसे सत्र शामिल हैं, जो प्रतिभागियों की विश्लेषणात्मक क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से तैयार किए गए हैं। उन्होंने कार्यक्रम की सफलता में योगदान देने वाले सभी सहयोगियों का आभार व्यक्त किया।
डॉ. अहमद मुजतबा सिद्दीकी ने उद्घाटन सत्र का संचालन किया और विभाग की हाल की उपलब्धियों, विशेष रूप से इसरो के सहयोग से मौसम गुब्बारा प्रक्षेपण के बारे में बताते हुए कहा कि एएमयू यह उपलब्धि हासिल करने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय बन गया है।
इस अवसर पर नेशनल एसोसिएशन ऑफ जियोग्राफर्स ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रोफेसर सलाउद्दीन कुरैशी सहित कई गणमान्य अतिथिी, शिक्षक और शोधार्थी मौजूद रहे। इस कार्यक्रम में पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र एवं नई दिल्ली जैसे राज्यों के प्रतिष्ठित संस्थानों से 30 शाधार्थी प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।